NARAK CHATURDASHI: नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है ये है पौराणिक कथा, जानें सच

NARAK CHATURDASHI: नरक चतुर्दशी कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस दिन छोटी दिवाली भी मनाते हैं। इस बार यह त्यौहार 23 अक्टूबर 2022 को मनाया जा रहा है। नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है, आज हम आपको इसके महत्व और पौराणिक कथा के बारे में बता रहे हैं।

असमय मृत्यु का भय समाप्त होता है

सनातन धर्म में नरक चतुर्दशी का बहुत ही महत्व है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन तर्पण और दीपदान करने से बहुत बड़ा फल मिलता है। नरक चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान करें तथा विधि विधान से यमराज की पूजा करें। ऐसा करने से सभी पाप दूर होते हैं, और स्वर्ग की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि शाम के समय यमराज के नाम का दीपक जलाने पर असमय मृत्यु का भय समाप्त होता है।

नरकासुर को स्त्री के हाथों ही मारे जाने का श्राप था

एक पौराणिक कथा के अनुसार नरकासुर नाम का राक्षस देवता और साधु-संतों को अपनी योग माया व शक्तियों से परेशान करता था। उसने 16 हजार स्त्रियों को भी बंधक बना रखा था। नरकासुर के अत्याचारों से परेशान देवता और साधु संत भगवान श्री कृष्ण के पास गए। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से कहा कि हे प्रभु हमें नरकासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने की कृपा करें। नरकासुर को स्त्री के हाथों ही मारे जाने का श्राप था। भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा से सहायता मांगी और नरकासुर का वध कर दिया। नरकासुर का वध जिस दिन हुआ वह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी थी। इस दिन भगवान कृष्ण ने 16 हजार स्त्रियों को भी नरकासुर के बंधन से मुक्त कराया। यही स्त्री भगवान श्री कृष्ण की पटरानीयों के नाम से भी जानी जाती हैं।

दुख और परेशानियों का नाश होता है।

नरक चतुर्दशी के दिन गजराज यानी हाथी को गन्ना खिलाने से बहुत बड़ा पुण्य मिलता है।
मान्यता के अनुसार ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि आती है
तथा दुख और परेशानियों का नाश होता है।
नरक चतुर्दशी के दिन घर में पूरब दिशा में आटे का दीपक बनाएं
तथा उसमें चार बाती लगाकर जलाना बहुत ही शुभ माना जाता है।
हम आपको बता दें कि हमने इस लेख में जो जानकारी दी है।
वह हमारे स्थानीय ज्योतिष तथा पंडितों की बातचीत पर आधारित है।

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