Common Diseases in Women: महिलाएं अपनी कई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को निभाने के दौरान अक्सर अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाती हैं. ऐसे में हर साल ‘महिला दिवस 2022’
(International Women’s Day 2022) यह याद दिलाने के लिए आता है कि उन्हें अपने स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है. स्वास्थ्य से संबंधित ऐसी कई स्थितियां हैं, जो महिलाओं में आमतौर पर पाई जाती हैं, लेकिन पर्याप्त रूप से रेखांकित नहीं की जाती हैं. इनमें जागरूकता की कमी, बीमारी का देर से पता चलना या गलत निदान शामिल है, जबकि यह स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है. ऐसे में यह अनिवार्य हो जाता है कि जीवनशैली से जुड़ी उन बीमारियों पर ध्यान दिया जाए, जिनका सामना महिलाओं (Women Health) को करना पड़ता है.
जेस्टेशनल डायबिटीज
यह एक ऐसी स्थिति है, जब महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान ब्लड शुगर का स्तर काफी उच्च हो जाता है. जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) के कारण गर्भावस्था के दौरान अनिवार्य रूप से अपने आहार और जीवनशैली का प्रबंधन करने की आवश्यकता होती है. अध्ययन से पता चलता है कि जिन महिलाओं को जीडी हो, उनके ब्लड में शुगर की मात्रा की निरंतर निगरानी से लाभ होता है. इस जोखिम कारकों पर ध्यान दिया जाए, उन जटिलताओं को रोका जा सकता है, जो मां और बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती हैं. ज्योतिदेव डायबिटीज रिसर्च सेंटर्स के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक डॉ. ज्योतिदेव केशवदेव कहते हैं, डायबिटीज रोगियों को अपने ग्लूकोज लेवल की निगरानी करने, जीवनशैली में संशोधन करना बेहद जरूरी है. तनाव, डाइट और एक्सरसाइज शरीर को कैसे प्रभावित करती है, ये भी जानना जरूरी है.
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एज-रिलेटेड मैकुलर डिजनरेशन
एज-रिलेटेड मैकुलर डिजनरेशन (Age-Related Macular Degeneration) एक दृष्टि-बाधित (vision-impairing) करने वाली आंख की स्थिति है, जो रेटिना के पूरे काम-काज को प्रभावित करती है. ग्लोबल डाटा वैज्ञानिकों ने पाया है कि एएमडी के 66 % से ज्यादा मामले महिलाओं में देखे गए हैं. अध्ययन से पता चला है कि महिलाओं के शरीर में चक्रीय हार्मोनल (cyclic hormonal) बदलाव उनमें एएमडी के मामले ज्यादा होने के कारण हैं. इनसाइट विजन फाउंडेशन के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. नितिन प्रभुदेसाई कहते हैं कि महिलाओं में एएमडी के जोखिम कारकों के रूप में आनुवंशिक और हार्मोनल मुद्दे अधिक होते हैं. स्वस्थ जीवनशैली वाली और 50 वर्ष की आयु के बाद नियमित रूप से आंखों की जांच कराने वाली महिलाओं में एएमडी का पता शुरू में ही लग सकता है. इसका इलाज करने में मदद मिल सकती है. एज-रिलेटेड मैकुलर डिजनरेशन ठीक न होने से दृष्टिहीनता हो सकती है.
एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस
एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing spondylitis) दर्द की एक पुरानी स्थिति है, जो वर्टिब्रेट में गंभीर सूजन का कारण बन सकता है. वैसे तो इस बीमारी से पुरुष-महिलाएं दोनों प्रभावित होते हैं, लेकिन महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अलग-अलग लक्षणों का अनुभव होता है. एक्सेल केयर हॉस्पिटल (गुवाहाटी) के सीनियर रुमेटोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. प्रदीप कुमार सरमा कहते हैं, आमतौर पर, इसे सामान्य पीठ दर्द के रूप में लिया जाता है. एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित महिलाओं को अक्सर गलत निदान का सामना करना पड़ता है, जो उनकी प्रॉग्रेशन कंट्रोल प्रॉसेस में देरी करता है.
एएस महिलाओं में स्लीप साइकिल को प्रभावित करता है. इससे रात में पीठ दर्द, कार्यात्मक परिणामों में वृद्धि होती है. महिलाओं में एएस हार्मोनल, इम्यूनोलॉजिकल और अनुवांशिक कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाओं को सीने, पीठ के ऊपरी हिस्से और पेरीफेरल ज्वाइंट में तेज दर्द (तीन गुणा) का अनुभव होता है.
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ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर
यदि कैंसर की बात करें तो महिलाओं में सबसे कॉमन कैंसर ब्रेस्ट (Breast cancer) और गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर (cervical cancer) होता है. ब्रेस्ट कैंसर के स्तनों में गांठ, सूजन, दर्द आदि लक्षण होते हैं. शुरुआत में इनके लक्षणों को पहचानकर इलाज ना किया जाए, तो जानलेवा होता है. महिलाओं में इन्हीं दो कैंसर के कारण (Cancer in women) अधिक मौते होती हैं.
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या पीसीओएस
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic ovary syndrome) महिलाओं में अधिक होता है. यह मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है, जिससे हार्मोंस असंतुलित होती हैं. इसमें मेल हार्मोन एंड्रोजन की अधिकता हो जाती है. इससे ओवरी में छोटे-छोटे ग्लैंड बन जाते हैं. इसे ही पॉलीसिस्टिक ओवरी कहा जाता है. इंसुलिन की अधिकता, इंफ्लेमेशन, जेनेटिक्स आदि इस बीमारी (common health problems in women) को बढ़ाते हैं.
एनीमिया
देश में अधिकतर महिलाएं एनीमिया (Anemia) से ग्रस्त पाई जाती हैं. महिलाएं अपने घर-ऑफिस के काम में इतनी व्यस्त होती हैं कि खुद के खानपान के प्रति अक्सर लापरवाही बरतती हैं, जिससे उनके शरीर में खून की कमी हो जाती है. प्रेग्नेंसी में एनीमिया होने से मां के साथ बच्चे दोनों कुपोषण का शिकार हो जाते हैं.
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