चेंजमेकर महिलाएं : इंटरव्यू बोर्ड ने हतोत्साहित किया लेकिन उन्होंने कहा-वो IAS बनेंगी

वर्ष 1947 में भारत आजाद हो चुका था. 1950 में अन्ना जार्ज ने सिविल सेवा की लिखित परीक्षा दी. उन्होंने बहुत अच्छे नंबरों से इसे पास किया. जब वो इंटरव्यू के लिए पहुंची तो सेलेक्शन बोर्ड के सदस्य उनसे बहुत इंप्रेस थे लेकिन वो चाहते थे कि उन्हें विदेश सेवा या फिर केंद्रीय सेवा में जाना चाहिए. ना कि आईएएस बनकर फील्ड में काम करना चाहिए, शायद वो वैसा नहीं कर पाएंगी, क्योंकि आईएएस पुरुषों को ही सूट करता है. अन्ना ने बहुत विनम्रता के साथ कहा कि वो किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं. ये साबित करके दिखा भी देंगी. वो केवल आईएएस ही बनना चाहेंगी.

इंटरव्यू बोर्ड को नहीं चाहते हुए भी उन्हें आईएएस बनाना पड़ा. फिर अन्ना से वास्तव में साबित किया कि वो क्षमता, बुद्धिमत्ता, कर्मठता और फैसला लेने में पुरुषों से किसी मामले में कम नहीं हैं. उन्हें जो दायित्व मिला, उसको उन्होंने बखूबी निभाया. यहां तक कि उनके आलोचक भी उनके कायल हो गए. वो ऐसी महिला भी बनीं जिन्होंने इस धारणा को तोड़ा कि कोई महिला आईएएस नहीं बन सकती. यानि कह सकते हैं कि दूसरी महिलाओं के लिए उन्होंने आईएएस बनने के दरवाजे खोले.

अन्ना का जन्म 17 जुलाई 1927 को केरल के निरानाम गांव में हुआ था, जो एर्नाकुलम जिले में था. उनका घर पढ़े लिखे लोगों का परिवार था. बाबा लेखक थे. उन्होंने कालीकट से इंटरमीडिएट और ग्रेजुएशन किया. फिर मद्रास यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में एमए किया.

इंटरव्यू बोर्ड के दिमाग में क्या था
1950 में उन्होंने तय किया कि वो सिविल सर्विस एग्जाम में बैठेंगी. लिखित परीक्षा अच्छे नंबरों से क्वालिफाई किया. इंटरव्यू 1951 में हुआ. जो बोर्ड वहां उनसे सवाल पूछ रहा था, वो लगातार उन्हें आईएएस बनने के लिए हतोत्साहित ही कर रहा था. उसने दिमाग में पहले से बिठाया हुआ था कि एक महिला के लिए आईएएस बनना ठीक नहीं. इंटरव्यू में संघ लोकसेवा आयोग के चेयरमैन आरएन बनर्जी बैठे थे. उन्होंने अन्ना के सामने प्रस्ताव रखा कि आईएएस बनने की बजाए उन्हें महिलाओं के लिए माफिक विदेश सेवा या फिर सेंट्रल सर्विसेज को लेना चाहिए.

क्यों बोर्ड उन्हें अनदेखा नहीं कर सकता था
लेकिन अन्ना ने ठाना हुआ था कि बनेंगी तो आईएएस ही. इंटरव्यू बोर्ड उन्हें अनदेखा इसलिए नहीं कर सकता था क्योंकि लिखित परीक्षा में वो बहुत अच्छी रैंक लेकर इंटरव्यू राउंड में आईं थीं. उनकी बात बोर्ड को माननी पड़ी. उन्हें आईएएस के लिए ही चुना गया. मद्रास कैडर मिला लेकिन उनके अपांइटमेंट लेटर में लिखा हुआ था, अगर उन्होंने सर्विस के दौरान शादी की तो उन्हें टर्मिनेट कर दिया जाएगा. हालांकि कुछ सालों बाद इस नियम को बदल दिया गया.

घुड़सवारी और रायफल शूटिंग में थीं पारंगत
अन्ना ने घुड़सवारी, रायफल और रिवाल्वर शूटिंग की ट्रेनिंग ली हुई थी. लेकिन आईएएस बनने के बाद भी उन्हें लगातार इस बात को साबित करना पड़ा कि वो अपने पुरुष आईएएस की तुलना में बेहतर हैं. ये साबित करना पड़ा कि वो पुरुषों की ही तरह किसी भी हालत से निपटने के लिए सक्षम हैं. उन्हें हौसूर जिले में पहली पोस्टिंग डिप्टी कलेक्टर के तौर पर मिली. इस पद पर आने वाली वो पहली महिला थीं.

निश्चित तौर पर उनका महिला होना कई सालों तक आड़े आता रहा. वो अक्सर घोड़े पर चढ़कर अपने इलाके का दौरा करने जाती थीं. महिलाएं उन्हें देखने के लिए निकल आती थीं.

बाद में राजगोपालाचारी ने तारीफ की
चूंकि वह महिला आईएएस थीं और लिंग संबंधी पूर्वाग्रहों से जूझ रही थीं लिहाजा उनके सामने रोक कोई ना कोई नई समस्या आती थी और वो इससे बखूबी निपटती थीं. बाद के बरसों में राजगोपालाचारी ने उनकी तारीफ भी की. दरअसल राजगोपालाचारी देश के उन शीर्ष नेताओं में थे, जो महिलाओं के नौकरी में आने को बहुत अच्छी दृष्टि से नहीं देखते थे. उन्हीं ने जब उनकी रिपोर्ट लिखी तो उनके लिए तारीफ के शब्द थे. फिर एक दो बार भाषण में भी उन्होंने महिलाओं को उन जैसा बनने के लिए प्रेरित किया.

महिलाओं के लिए खोले आईएएस के दरवाजे
बाद में यूपीएससी के चेयरमैन ने भी उनके काम की तारीफ की. उन्होंने खुद कहा कि ये अन्ना की क्षमता ही थी जिसके चलते महिला उम्मीदवारों को भी आईएएस बनाया जाने लगा. उनकी क्षमता की तारीफ तो बाद हर कोई करने लगा. उन्होंने अपने करियर में एक नहीं कई बार बहुत संवेदनशील मामलों को बहुत अच्छी तरह निपटाया.

जिस यूपीएससी चेयरमैन ने उन्हें आईएएस बनने के लिए हतोत्साहित किया था, उसी ने फिर उनकी तारीफ भी की.

कई मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया
बाद के बरसों में उन्होंने 07 मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया. जब 1982 में नई दिल्ली में एशियाई खेल हुए तो उन्होंने राजीव गांधी के साथ मिलकर काम किया. तब उन्होंने राजीव और इंदिरा दोनों का विश्वास जीता. उन्होंने एग्रीकल्चर संबंधी सुझाव देने के लिए कहा. 08 राज्यों का दौरान करने के बाद उन्होंने ऐसी रिपोर्ट सौंपी, जो अनाज के मामले में सबकुछ बताने वाली थी. उनका पैर भी इस दौरान फैक्चर हो गया, तब भी वो पीछे नहीं हटीं.
उन्होंने अपने ही बैचमेट आरएन मल्होत्रा से शादी की, जो बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर भी बने.

Tags: IAS, International Women’s Day, Women, Women Achiever

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *