Ukraine Russia War: यूक्रेन में भारतीय दूतावास (Indian Embassy in Ukraine) ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि सूमी (Sumi) में फंसे भारतीय छात्रों (Indian students) को पोल्टावा (Poltava) के रास्ते पश्चिमी सीमाओं तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए भारतीय दूतावास की टीम पोल्टावा शहर में तैनात है. पुष्टि समय और तारीख जल्द ही जारी की जाएगी. दूतावास ने कहा है कि छात्रों को शॉर्ट नोटिस पर जाने के लिए तैयार रहने की सलाह दी जाती है.
मुश्किल हालात में हैं छात्र
प्यास बुझाने के लिए पिघलती बर्फ पर आश्रित और जरूरी चीजें तेजी से खत्म होने के बीच युद्धग्रस्त देश यूक्रेन के सूमी में फंसे सैकड़ों भारतीय छात्र हर सुबह इस उम्मीद में सड़कों पर खड़े होते हैं कि ‘‘आज का दिन वह दिन होगा’’ जब उन्हें युद्ध की बर्बरता से बचाया जाएगा.
Team from Embassy of India is stationed in Poltava City to coordinate the safe passage of Indian students stranded in Sumy to Western borders via Poltava.
Confirmed time & date will be issued soon. 🇮🇳n students advised to be ready to leave on short notice.@MEAIndia @opganga
— India in Ukraine (@IndiainUkraine) March 6, 2022
हालांकि, उनका इंतजार लंबा होता गया, क्योंकि भयंकर लड़ाई ने रूसी सीमा के पार सुरक्षित जाने के रास्ते अवरुद्ध कर दिए हैं. भारत सरकार द्वारा छात्रों को सुरक्षित निकालने का आश्वासन दिए जाने के एक दिन बाद उन्होंने गोलाबारूद और मिसाइल हमलों के बीच पैदल रूसी सीमा तक जाने की कठिन यात्रा करने का विचार त्याग दिया है. मेडिकल की छात्रा 25 वर्षीय जिसना जिजी ने कहा कि उनके पास धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि रूसी सीमा तक चलकर जाना खतरे से खाली नहीं है.
हताश छात्रों ने शनिवार को जारी किया था वीडियो
सूमी में मौजूद हताश छात्रों ने शनिवार को एक वीडियो क्लिप पोस्ट करते हुए घोषणा की थी कि उन्होंने लड़ाई के बीच भयंकर ठंड में रूसी सीमा तक चलकर जाने का जोखिम उठाने का फैसला किया था, जिससे भारत में सत्ता के गलियारों में उनकी सुरक्षा के बारे में आशंका बढ़ गई थी. वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद भारत सरकार ने छात्रों को आश्रयों में रहने के लिए कहा और आश्वासन दिया कि उन्हें जल्द ही वहां से निकाल लिया जाएगा.
बता दें युद्ध प्रभावित यूक्रेन से अपने नागरिकों को निकालने के लिए भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन गंगा’ शुरू किया है, जिसके तहत हजारों फंसे हुए लोगों ज्यादातर छात्रों को पश्चिमी यूक्रेन की सीमा से लगे देशों से निकाला गया है. हालांकि, पूर्वी हिस्से से निकासी एक चुनौती बनी हुई है.
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