मॉस्को. रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के युद्ध का असर अन्य देशों पर भी पड़ता नजर आ रहा है. खबर है कि दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष के चलत मध्यपूर्वी देशों में अनाज का कमी का संकट गहरा सकता है. खास बात है कि गेंहू निर्यात के मामले में रूस पहले स्थान पर है. जबकि, यूक्रेन चौथे स्थान पर है. गेंहू के वैश्विक निर्यात के मामले में दोनों देश मिलकर 30 फीसदी का योगदान देते हैं. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने 24 फरवरी को यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई की घोषणा की थी.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, युद्ध कुछ सप्ताह और चला, तो इसे यूक्रेन वासियों को गेंहू नहीं बो सकेंगे. साथ ही पश्चिम की तरफ लगाए प्रतिबंधों के चलते रूस अपना अनाज बेच नहीं पाएगा. ऐसे में अनाज की कीमतें तेजी से बेढ़ेंगी, जिसका असर ब्रेड, दूध, मांस और अन्य उत्पादों की कीमतों पर पड़ेगा. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मध्य पूर्व के अलावा दुनिया के कई और हिस्से में भी आपूर्ति के लिहाज से प्रभावित हो सकते हैं.
एजेंसी ने FAO की 2020 की बैलेंस शीट के हवाले से बताया कि लेबनान ने गेंहू की राष्ट्रीय खपत का 80 फीसदी यूक्रेन और 15 फीसदी रूस से खऱीदा था. मिस्त्र ने 60 प्रतिशत रूस और 25 फीसदी खरीद यूक्रेन से की थी. वहीं, तुर्की में 66 फीसदी गेंहू रूस और 10 फीसदी यूक्रेन से आया. मध्य पूर्व के कई देशों की सरकारों को अनाज की बढ़ी हुई कीमतों पर भुगतान करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मिस्त्र, लेबनान, लीबिया और तुर्की में हालात खासतौर से खराब हैं.
भाषा के अनुसार, यूक्रेन के किसानों को अपने खेतों को छोड़कर जाना पड़ा है, खेत खलिहान सूने पड़े हैं, लाखों किसान भाग चुके हैं या फिर संघर्ष कर रहे हैं या जिंदा बचे रहने की जद्दोजहद में फंसे हैं. बंदरगाह बंद कर दिये गये हैं जहां से गेहूं एवं अन्य खाद्यान्न ब्रेड, नूडल्स या पशुचारा बनाने के लिए भेजे जाते थे. ऐसी चिंता है कि दूसरे कृषि पावर हाउस रूस से पश्चिम देशों के प्रतिबंधों के चलते अनाज निर्यात रूक गया है.
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फिलहाल, अंतरराष्ट्रीय अनाज बाजार अनिश्चितता का शिकार है. कारोबारी भी ऐसे किसी सौदे में नहीं शामिल होना चाहते, जिसमें रूस पर लगे प्रतिबंधों का असर और वे किसी परेशानी में पड़ जाएं. एजेंसी के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन और बड़े मानवीय संकट के बाद यूक्रेन पर आक्रमण का असर अंतरराष्ट्रीय अनाज बाजार पर भी होगा. ऐसे में बढ़ी हुई कीमतों के चलते लोगों को मजबूर हो कर खपत कम करने की नौबत आ सकती है.
हालांकि, सबकुछ इस बात पर निर्भर करता है कि युद्ध कब तक चलेगा. एक ओर जहां रूस ने अपना उत्पादन तो बरकरार रखा है, लेकिन उसे निर्यात करने में मुश्किलों का सामना कर रहा है. वहीं, यूक्रेन का अनाज उत्पातन कई महीनों तक अंतरराष्ट्रीय बाजार से गायब रहेगा.
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