यूक्रेन संकट और क्रूड ऑयल में उबाल के बीच शेयर बाजारों में उथल-पुथल मची हुई है। भारतीय बाजार में काफी गिरावट आ चुकी है। इस साल की शुरुआत से अब तक निफ्टी और सेंसेक्स करीब सवा 8 फीसदी तक गिर चुके हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जो निवेशक लंबे समय के लिए मार्केट में पैसा लगाते हैं, क्या उन्हें इन हालात का फायदा उठाना चाहिए और शेयरों में पैसा लगाना चाहिए? या बाजार में तेज हलचल के इस दौर में उन्हें चुपचाप किनारे बैठना चाहिए?
इनवेस्टमेंट के बारे में सलाह देने वाले उस्तादों का कहना है कि मार्केट में उतार-चढ़ाव का दौर हो या बेयरिश सेंटिमेंट, ये लंबे समय तक नहीं बने रहते, लिहाजा जिनके पास निवेश के लिए अतिरिक्त पैसा हो, उन्हें उसका कुछ हिस्सा अच्छे शेयरों में लगा देना चाहिए। फाइनैंशल प्लानिंग से जुड़े विशेषज्ञ भी कुछ इसी तरह की सलाह दे रहे हैं, लेकिन उनका यह भी कहना है कि स्टॉक्स में पूरा सरप्लस फंड एक बार में न लगाएं और अगले कुछ महीनों तक थोड़ा-थोड़ा करके निवेश करें।
यूक्रेन पर रूसी हमले के चलते जो माहौल बना है, उसमें गोल्ड और दूसरी कमोडिटीज की चमक बढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशक अपने पोर्टफोलियो का कुछ हिस्सा गोल्ड और सिल्वर में भी लगा सकते हैं। सिल्वर के बारे में उनकी राय यह बन रही है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली कंपनियों की ओर से इस साल चांदी की मांग बढ़ सकती है। इस इंडस्ट्रियल डिमांड के चलते सिल्वर में गोल्ड के मुकाबले कहीं ज्यादा तेजी की उम्मीद की जा रही है।
लैडरअप वेल्थ मैनेजमेंट के एमडी राघवेंद्र नाथ का कहना है कि ‘अगर आप वेल्थ क्रिएशन के इरादे से लंबी अवधि के लिए पैसा लगाने पर विचार कर रहे हों तो इस उतार-चढ़ाव की फिक्र में न पड़ें। आपको कुछ दमदार शेयरों में निवेश करना चाहिए।’ उनका कहना है कि मुश्किल वक्त में जिन एसेट्स में नरमी आ गई हो, उनमें निवेश करना बेहतर रहता है। बुरा वक्त लंबा नहीं खिंचेगा। उम्मीद यही है कि जब माहौल बदलेगा, तो इन एसेट्स का प्रदर्शन दूसरों से बेहतर रहेगा।
बाजार में अभी हो रहे तेज उतार-चढ़ाव के बीच कई लोग शॉर्ट टर्म नजरिए के साथ आगे आ रहे हैं। लेकिन इसमें काफी रिस्क भी है। विशेषज्ञों का कहना है कि लोग वोलैटिलिटी बढ़ने पर पैसा जल्दी बन सकने की उम्मीद में दांव लगाते हैं, लेकिन ऐसे में नुकसान हो जाए तो वे घबराहट में मार्केट से एग्जिट कर जाते हैं। इससे मार्केट वोलैटिलिटी और बढ़ती है। राघवेंद्र नाथ का कहना है कि ‘वोलैटिलिटी लंबे समय तक नहीं रहती है। तमाम एसेट्स में अभी जिस तरह के हालात हैं, उन्हें देखते हुए शेयरों में निवेश का विकल्प बेहतर दिख रहा है। इससे दूरी नहीं बनानी चाहिए।’
अब सवाल यह है कि अगर ऐसा है तो निवेश किस हिसाब से किया जाए? फाइनैंशल एडवाइजर कह रहे हैं कि आपके पास निवेश करने लायक जो भी अतिरिक्त पैसा हो, उसका 30-40 फीसदी हिस्सा अच्छे दमदार शेयरों में लगाएं। अच्छे शेयरों से मतलब उन कंपनियों से है, जिनका कॉरपोरेट गवर्नेंस अच्छा हो, जिनका मैनेजमेंट बेहतर माना जाता हो, जो अपने सेगमेंट की चुनिंदा अगुवा कंपनियों में शामिल हों, जिनके कारोबार में दूसरों के लिए उतरना आसान न हो, जिनके बिजनेस प्लान में भविष्य की अच्छी झलक दिख रही हो, जो महंगाई के मौजूदा दौर का फायदा उठाने की हालत में हों या जो ऐसे सेगमेंट में हो, जिसके आगे चलकर चमकने की संभावना बन रही हो।
विशेषज्ञों के मुतजाबिक, ऐसे शेयरों में 30-40 फीसदी पैसा लगाने के बाद जो रकम बचे, उसे लिक्विड फंड्स या बैंक खातों में रखें। इस पैसे का इस्तेमाल अगले 3 से 6 महीनों में शेयर खरीदने में किया जा सकता है। ऐसा करने पर शेयर खरीदने की कुल लागत की ऐवरेजिंग हो जाएगी।
जो निवेशक ज्यादा रिस्क नहीं उठा सकते हों, उन्हें सरप्लस रकम का कुछ हिस्सा बॉन्ड्स, गोल्ड और सिल्वर वगैरह में निवेश के लिए रखना चाहिए। एक फिक्स्ड इनकम फंड मैनेजर का कहना है कि अगले एक साल में बॉन्ड के दाम में और गिरावट आ सकती है, लिहाजा अभी शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड्स में पैसा लगाना बेहतर होगा और जब भाव नीचे आएं तो निवेशक लॉन्ग टर्म स्कीमों में निवेश कर सकते हैं।
जहां तक गोल्ड और सिल्वर की बात है तो इस साल की शुरुआत से अब तक गोल्ड का भाव 8.2 फीसदी चढ़ चुका है। वहीं सिल्वर में 10 फीसदी की मजबूती आ चुकी है। ऐसे में गोल्ड पर दांव लगाया जाए या सिल्वर पर, यह सवाल आपके मन में आ सकता है। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशल सर्विसेज में कमोडिटीज रिसर्च के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट नवनीत दमानी का कहना है कि जो लोग गोल्ड और सिल्वर में पैसा लगाने के बारे में सोच रहे हों, उनके लिए बेहतर यही होगा कि गोल्ड के मुकाबले सिल्वर में ज्यादा निवेश करें। दमानी का कहना है कि वैश्विक स्तर पर राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है, महंगाई सिर उठा रही है, क्रूड ऑयल के दाम चढ़ रहे हैं और फिलहाल ऐसा कोई रास्ता नहीं दिख रहा कि इन पर काबू कैसे पाया जाएगा, लिहाजा आने वाले समय में इन कीमती धातुओं में तेजी की उम्मीद की जा सकती है। लेकिन ‘हमारा अनुमान यह है कि इस साल सिल्वर का परफॉर्मेंस गोल्ड से बेहतर रहेगा।’
आवाज़ : रोहित उपाध्याय