Ukraine Russia War Britain Boris Johnson Demands To Exclude Russia From UN Security Council | ब्रिटेन ने की रूस को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से बाहर करने की मांग, कहा

रूस की ओर से यूक्रेन पर लगातार हमले जारी हैं. यूक्रेन में कहीं रूसी मिसाइलें गिराई जा रही हैं तो कहीं बम के गोले बरसाए जा रहे हैं. लगातार धमाके में हर तरफ तबाही का आलम है. वहीं इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र संघ (UN General Assembly) की आपातकालीन बैठक में चर्चा जारी है. 193 देश लगातार इस मसले पर अपना पक्ष रख रहे हैं. इस बीच ब्रिटेन ने सुझाव दिया है कि इस मुद्दे पर रूस को कड़ी सजा मिलनी चाहिए. जिसमें रूस से सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थाई सदस्यता छीना जाना भी एक विकल्प है. सीधे तौर पर कहें तो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने रूस से वीटो पावर छीनने की वकालत की है. रूसी सैनिकों की ओर से किए जा रहे लगातार हमले की वजह से भारी संख्या में जानमाल की क्षति हुई है.

रूस को UNSC से बाहर करना ही विकल्प

वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) में इस मसले को लेकर यूक्रेन (Ukraine) और रूस (Russia) के बीच तकरार देखने को मिली थी. यूक्रेन के प्रतिनिधि ने दुनिया को चेतावनी दी थी अगर यूक्रेन नहीं बचता है तो संयुक्त राष्ट्र भी नहीं बचेगा. इसे लेकर कोई भ्रम नहीं रहे. संयुक्त राष्ट्र और लोकतंत्र को बचाने के लिए यूक्रेन को बचाना होगा. वहीं रूस के प्रतिनिधि ने आरोप लगाते हुए कहा था कि मौजूदा संकट के लिए यूक्रेन ही जिम्मेदार है. रूस ने शत्रुता की शुरुआत नहीं की थी. यूक्रेन ने अपने ही निवासियों और असंतुष्टों के खिलाफ शत्रुता शुरू की. रूस इस युद्ध को खत्म करना चाहता है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन मसले पर आज वोटिंग

उधर, भारत ने संयुक्त राष्ट्र में साफ कहा कि वो चाहता है कि पूरे मसले का हल बातचीत से निकले. रूस के यूक्रेन पर हमले को लेकर चल रही बहस का आज समापन होगा. रात साढ़े 8 बजे रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर वोटिंग होगी. ये भी देखना दिलचस्प होगा कि कितने देश वोटिंग से बाहर रहते हैं. नतीजे कुछ भी हो लेकिन प्रस्ताव के नतीजे बाध्यकारी नहीं हैं क्योंकि संयुक्त राष्ट्र महासभा सिर्फ प्रस्ताव पास कर पाएगी. इस मसले पर कार्रवाई का अधिकार UNGA के पास नहीं है. अमेरिका समेत दूनिया के कई देश रूस पर पहले ही कई प्रतिबंध लगा चुके हैं. रूस को हर मोर्चे पर अलग-थलग करने की कोशिशें लगातार जारी है.

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