Russia ukraine war international and law legal implications

हेग. कीव ने हेग में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के समक्ष एक आवेदन दायर किया है, जिसमें रूस पर यूक्रेन में “नरसंहार की योजना बनाने” का आरोप लगाया गया है. हेग में स्थित अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) में भी मुख्य अभियोजक करीम खान ने एक जांच शुरू की है, जिसमें कहा गया है, “यह मानने का एक उचित आधार है कि कथित युद्ध अपराध (War Crimes) और मानवता के खिलाफ अपराध (Crimes Against Humanity) दोनों किए गए हैं.”

इस बीच, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के छठे दिन मंगलवार को रूसी टैंक (Russian Tanks) और बख्तरबंद वाहनों का कई मील लंबा काफिला यूक्रेन की राजधानी के करीब पहुंच रहा है और जमीन पर संघर्ष तेज हो रहा है. रूस ने यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में नागरिक ठिकानों को निशाना बनाते हुए गोलाबारी तेज कर दी और हताहतों की संख्या बढ़ती जा रही है.

तो आइए जानते हैं रूस, यूक्रेन और अंतर्राष्ट्रीय कानून के बारे में पांच प्रमुख सवाल क्या हैं:

1. क्या रूस ने अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ा है?
तो इसका जवाब ‘हां’ है. हेग स्थित एसेर इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड यूरोपियन लॉ के वरिष्ठ शोधकर्ता ज्योफ गॉर्डन ने कहा कि रूस ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 2(4) को तोड़ा है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सेना के इस्तेमाल पर रोक लगाता है. ब्रिटिश-आधारित अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रोफेसर फिलिप सैंड्स ने कहा कि यूक्रेन में ‘रूसी सैन्य बल का उपयोग क्यों किया गया है, इस बात से सभी वाकिफ हैं.’ सैंड्स ने फाइनेंशियल टाइम्स में लिखा, “पहले और आज के समय के मध्य कई अंतरों में से एक यह है कि इस तरह के कार्यों से हमें बचाने के लिए नियम मौजूद हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में नजर आता है और हमारे पास एक अंतरराष्ट्रीय संविधान के जैसा है.” सैंड्स ने आगे कहा, “रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चार्टर की सबसे महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताओं को तोड़ दिया है.”

2. कौन सी अदालतें यूक्रेन से संबंधित मामलों की सुनवाई कर सकती हैं?
गॉर्डन ने कहा कि यूक्रेन ने आईसीजे में एक मामला लाने के लिए आवेदन किया है, जो निश्चित रूप से अधिकार क्षेत्र को लेकर बहस की सुनवाई करेगा. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अदालतें भी अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन से संबंधित मामलों की सुनवाई कर सकती हैं. मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए रूस को यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय के कटघरे में भी खड़ा किया जा सकता है. आईसीसी को यूक्रेन के क्षेत्र में व्यक्तियों द्वारा किए गए युद्ध अपराधों की जांच करने का अधिकार है. यूक्रेन इसका सदस्य नहीं है, लेकिन 2014 में क्रीमिया के मद्देनजर यह न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में शामिल हो गया. रूस हालांकि आईसीसी से हट गया, इसलिए अदालत केवल उन्ंहीं रूसियों तक पहुंचने में सक्षम होगी, जिन्हें उस राज्य के क्षेत्र में गिरफ्तार किया जाएगा जो कि अदालत के अधिकार क्षेत्र का सम्मान करता है.

3. क्या व्यक्तियों को जवाबदेह ठहराया जा सकता है?
हां. नरसंहार, युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों सहित दुनिया के सबसे बुरे अपराधों के आरोपी व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने का अधिकार आईसीसी के पास है. व्यक्तियों पर राष्ट्रीय अदालतों में भी मुकदमा चलाया जा सकता है. हालांकि, आईसीसी भी आक्रामकता के अपराध पर मुकदमा नहीं चला सकता है अगर उस देश ने अदालत के रोम कानून को मंजूर नहीं किया है, जो न तो रूस और न ही यूक्रेन ने किया है. यहां आक्रामकता से मतलब ‘एक राजनीतिक या सैन्य नेता द्वारा दूसरे राज्य पर सुनियोजित हमला करने’ से है. सैंड्स ने हालांकि यूक्रेन के संबंध में आक्रामकता के रूसी अपराधों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक समर्पित अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायाधिकरण स्थापित करने का सुझाव दिया है.

4. आगे क्या हो सकता है?
हेग स्थित आईसीजे जो देशों के बीच विवादों में का फैसला करता है, पहले यह तय करेगा कि उसके पास मामले को सुनने का अधिकार है या नहीं. लीडेन विश्वविद्यालय में लोक अंतरराष्ट्रीय कानून के सहायक प्रोफेसर सेसिली रोज ने कहा, “मैं शर्त लगाता हूं कि हम अगले कुछ हफ्तों में सुनवाई होते देखेंगे और उसके बाद कुछ हफ्तों के भीतर एक फैसला भी… या शायद इस आपातकाल के स्तर को देखते हुए तुरंत एक समय-सीमा भी दी जा सकती है.” आईसीसी में, अगर इसके न्यायाधीश सहमत होते हैं कि अदालत के पास अधिकार क्षेत्र और समर्थन में सबूत हैं, तो एक जांच के जरिए मुख्य अभियोजक खान अभियोग (Indictments) और अभियोजन (Prosecution) जारी कर सकते हैं. हालांकि, आईसीसी प्रक्रिया को तेज किया जा सकता है, बशर्ते कोई सदस्य देश मामले को अदालत में भेजे, जिससे न्यायाधीशों की अनुमति प्राप्त करने की जरूरत नहीं रह जाती है.

5. इसका क्या असर होगा?
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस सवाल का जवाब देना मुश्किल है. गॉर्डन ने कहा, “आईसीजे का फैसला अंतिम है और इसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती, लेकिन अपने निर्णयों को प्रभावी बनाने के लिए शीर्ष न्यायालय के पास एक उत्कृष्ट प्रवर्तन तंत्र का अभाव है.” इसी तरह से आईसीसी के पास भी अपना पुलिस बल नहीं है और गिरफ्तारी करने के लिए वह सदस्य देशों पर निर्भर है. गॉर्डन ने कहा, “दूसरी ओर, हम एक अवैध युद्ध छेड़ने के लिए रूस को दंडित करने के लिए डिज़ाइन किए गए कई अधिक या कम समन्वित तंत्रों को जुटा सकते हैं.” इसमें आर्थिक प्रतिबंध, यात्रा प्रतिबंध और खेल आयोजनों को रद्द करने जैसी सजा को शामिल किया गया है. गॉर्डन ने कहा, आईसीजे का निर्णय भविष्य में ऐसी किसी भी कार्रवाई में अहम भूमिका निभा सकता है, चाहे वह किसी विशिष्ट कानूनी तर्क के हिस्से के रूप में हो या वैधता के बारे में सार्वजनिक तर्क के रूप में.”

Tags: Russia, Ukraine

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