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(संदीप बोल)

नई दिल्ली. रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग (Russia-Ukraine War) को 7 दिन हो गए. गोलीबारी, बमबारी, यूरोपियन यूनियन और संयुक्त राष्ट्र की बैठकों का दौर लगातार जारी है. रूस पर कई तरह की पाबंदियां भी लगाई जा रही हैं. भारत ने हर फ़ोरम पर ये शांति का पक्ष लिया है. भारत चाहता है कि आपसी बातचीत से विवाद का हल निकाला जाए. बीच का रास्ता भारत को इसलिए भी अपनाना पढ़ रहा है, क्योंकि भारत के रिश्ते रूस, यूक्रेन, अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के देशों के साथ हमेशा से बेहतर रहे हैं.

रूस यूक्रेन के साथ तो सामरिक रिश्ते तब से हैं, जब यूएसएसआर का विघटन नहीं हुआ था. भारत की सबसे पहली कोशिश है कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों को जल्द से जल्द सुरक्षित भारत लाया जाए. लेकिन एक कोशिश ये भी है कि सामरिक रिश्ते भी बना रहे. क्योंकि इस जंग का असर भारत के रक्षा क्षेत्र पर भी आने वाले दिनों में पड़ सकता है.

भारत की सेना के तीनों अंगों के पास जो हथियार या रक्षा उपकरण है वो 60 फ़ीसदी रूस से हैं. यूक्रेन भी भारत का एक बड़ा सहयोगी है. अगर जंग जल्द खत्म नहीं हुई, तो भविष्य में उपकरणों की सप्लाई पर असर पड़ सकता है. इससे पहले भी रूस और यूक्रेन के बीच तनाव के चलते भारतीय वायुसेना के AN-32 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के आधुनिकरण में देरी हुई थी.
यूक्रेन भारतीय वायुसेना के 100 से ज्यादा ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट AN-32 को अपग्रेड कर रहा है. ये डील 2009 में हुई थी. साल 2015 तक 45 एयरक्राफ्ट को अपग्रेड कर दिया गया था. यही नहीं यूक्रेन के साथ भारत ने पिछले साल फरवरी में चार एग्रिमेट पर दस्तखत किए हैं. इसमें यूक्रेन भारत को हथियारों की सप्लाई के साथ ही पहले से दिए गए रक्षा उपकरणों की मेंटेनेंस और उन्हें अपग्रेड करना शामिल है. शक्तिशाली इंजन बनाने के लिए यूक्रेन दुनिया में जाना जाता है.

रूस भारतीय नौसेना के लिए दो फ्रिगेट (वॉरशिप) बना रहा है, जिनकी डिलीवरी अगले साल से शुरू होनी है. भारत की यूक्रेन के साथ फ्रिगेट के लिए आठ गैस टर्बाइन इंजन की डील हुई है. भारत ने दो फ्रिगेट के लिए इंजन की डिलीवरी यूक्रेन से लेकर उसे रूस को दिया हैं, जहां फ्रिगेट बन रहे हैं.

जानकारों की मानें तो मौजूदा हालात में अब रूस की डिफेंस इंडस्ट्री अपनी जरूरतें पूरी करने पर ज्यादा तवज्जो देगी. ऐसे में तयशुदा समय में की जाने वाली सप्लाई बाधित हो सकती है. इस जंग का सबसे बड़ा असर भारत और रूस के बीच हुए 5 एस-400 यूनिट की डीलिवरी पर भी पड़ सकता है. एक यूनिट तो पीछले साल के आख़िर से भारत को मिलनी शुरू हो गई थी, लेकिन अभी चार और आनी बाक़ी है.

इस डील पर ग्रहण अमेरिका की तरफ से लग सकता है. अमेरिका के नए क़ानून काटसा यानी काउंटरिंग अमेरिकाज एडवरसरी थ्रू सेंग्शंस एक्ट के तहत अमेरिका ने अपने सहयोगी और साझेदार देशों से रूस , ईरान और नॉर्थ कोरिया से किसी भी तरह के हथियारों के लेनदेन करने पर उन देशों पर प्रतिबंध लगा सकता है. अमेरिका पहले ही भारत पर से दबाव बना रहा था कि भारत रूस से एस-400 एयर डिफ़ेंस सिस्टम न लेकर अमेरिकी थियेटर हाई ऑलटेट्यूड एयर डिफ़ेंस सिस्टम ख़रीदे. लेकिन दबाव के बावजूद भारत ने रूस से डील को जारी रखा. ऐसे में ये माना जा रहा है कि एक बार फिर से अमेरिकी काट्सा के नाम पर भारत पर दबाव बना सकता है.

रूस दुनिया में हथियारों दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है. आंकड़ों के मुताबिक, साल 2000 से 2020 तक भारत ने जितने हथियार आयात किए, उसमें 66 फीसदी से ज्यादा रूस से लिए गए हैं. भारतीय सेना में शामिल मेन बैटल टैंक टी-90 और टी-72 हैं वह रूसी है. इसके अलावा भारतीय वायुसेना के 71 फ़ीसदी फाइटर, हैलिकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट विमान रूसी से ही हैं.

सुखोई 30 का निर्माण लाइसेंस के तहत भारत में ही किया जा रहा है. मिग की पूरी फ्लीट भी रूसी है. हाल ही में मिग 29 के अपग्रेडेशन का काम भी चल रहा है. नौसेना के फाइटर और ग्राउंड अटैक एयरक्राफ्ट या तो रूस के बने हैं या फिर लाइसेंस में इंडिया में बनाए गए. हाल ही में रुस और भारत के बीच 6 लाख एके-203 राइफल बनाने की डील भी साइन की गई है.

Tags: Russia ukraine war, Ukraine, Vladimir Putin

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