Yoga Session With Savita Yadav: बेहतर स्वास्थ के लिए शरीर में ऑक्सीजन (Oxigen) का सही तरीके से संचार होना बहुत जरूरी है. कई बार ऑक्सीजन के पर्याप्त संचार के अभाव में शरीर में कई तरह की समस्याएं शुरू हो जाती हैं और सेहत पर इसका गंभीर असर पड़ता है. ऐसे में शरीर के विभिन्न भागों में ऑक्सीजन फ्लो बेहतर बनाए रखने के लिए प्राणायाम (Pranayama) बहुत फायदेमंद साबित होता है. यह एक अद्भुत प्रक्रिया है. आपको बता दें कि आसन और प्राणायाम साथ में करना जरूरी होता है. आसान के बाद प्राणायाम करने पर इसका इंपैक्ट अच्छा होता है. कई बार लोग पहले प्राणायाम करना पसंद करते हैं लेकिन ऐसा करना गलत है. हमेशा कुछ आसान करने के बाद ही प्राणायाम करना फायदेमंद होता है.आइए, योग प्रशिक्षिका सविता यादव से जानते हैं इसे करने का सही तरीका.
इस तरह करें शुरू
पीठ और गर्दन को सीधा कर पद्मासन में पहले बैठ जाएं. उंगलियों को इंटरलॉक कर उपर की तरफ सीधा करते हुए स्ट्रेच करें और कुछ देर होल्ड कर रखें. शरीर को अब ढीला करें और वापिस हाथों को नीचे कर बैठ जाएं. अब आंखों को बंद करें और धीरे धीरे अपनी सांसों पर ध्यान दें. अब पैरों को सामने की तरफ फैला लें, कमर सीधी रखें और दंडासन पर बैठने का प्रयास करें. 10 मिनट तक बैठने का प्रयास करें. तलवों को आगे पीछे की तरह स्ट्रेच करें और आगे पीछे करें. अब पैरों को एक एक कर हाथों से जांघों से पकड़ें और उपर की तरह उठाएं और नीचे रखें. ऐसा आप 10 बार करें. ध्यान रहे पैर और कमर सीधी हो. अब दोनों पैरों को घुटने से मोड़कर हाथों से जोड़ से पकड़ें और बॉडी को स्ट्रेच करें. 10 तक गिनें. अब दोनों तलवों को हाथों से पकड़ें और 1 मिनट तक घुटनों को दोनों तरफ उपर नीचें हिलाएं. मैट पर खड़े हो जाएं और समकोशआसन की मुद्रा में हाथों को आगे कर पीठ को झुकाकर सामने की तरफ देखें. गहरी सांस लें और कुछ देर इसी मुद्रा में रहें. अब इसी मुद्रा में अपनी दाहिनी और बाई ओर झुकें. मैंट पर बैठकर अब रिलैक्स करें और गहरी सांस लें और बाहर निकालें.
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कपालभाति
जिन लोगों को पेट में किसी तरह की समस्या है या वे हार्ट पेशेंट है तो डॉक्टर की सलाह पर ही इसे धीमी गति से इसे करें. जिनको कोविड हुआ था उन्हें इसे करने से बचना चाहिए. कपालभाति के लाभ की बात करें तो ये शरीर की अंदर से शुद्धी करता है. इसे करने के लिए पहले कमर सीधी रखें और बेहतर होगा कि पद्मासन, सुखासन में बैठ जाएं. फिर ध्यानपूर्वक सांसों को तेजी से बाहर की तरफ निकालें. ध्यान रहे कि पेट को फोर्स से अंदर बार बार दबाने का प्रयास ना करें. इसे नेचुरली करें. जब आप सांस को तेजी से बाहर निकालेंगे तो खुद ही पेट अंदर की तरह जाएगा. अब बाएं नाक को अंगूठे से बंद कर सांस लें और रोकें. अब दाहिने से नाक छोडें. ऐसा ही अब अपने दाहिने नाक को दबाकर करें. यह प्रक्रिया आप कई बार करें. इसमें नाक से फोर्सफुली सांसों को बाहर की तरह निकालना है और अंदर की निगेटिविटी, स्ट्रेस, एन्जायटी को बाहर निकालने का प्रयास करना है. आप 2 मिनट इस अभ्यास करें. इससे पेट, ब्रेन मसल्स मजबूत होते हैं और ऑक्सीजन की सप्लाई अच्छी होती है. तनाव में इस अभ्यास को ना करें. इसलिए इसके करने से पहले कंफर्टेबल पोजीशन में बैठकर करें.
अनुलोम विलोम
अनुलोम विलाम करने के लिए पद्मासन में बैठ जाएं और एक नाक बंद कर सांस लें और 5 तक गिनते तक होल्ड करें और दूसरे नाक से सांस निकाल दें. अब दूसरे नाक से ऐसा करें. आप सुबह के समय और रात में सोने से पहले 20 चक्र करें तो ये काफी फायदेमंद होगा.
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भ्रामरी का अभ्यास
स्ट्रेस और एन्जायटी को दूर करने में ये भ्रामरी का अभ्यास बहुत फायदेमंद है. भ्रामरी करने से नींद ना आने की समस्या को भी दूर किया जा सकता है. इसका अभ्यास करने के लिए आप पद्मासन में बैठें और आंखों को बंद करें. अब सांस लें और सांस छोड़ते हुए मुंह बंद रखकर ओम जैसा उच्चारण करें. इस प्रक्रिया को आप कई बार करें.
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