नई दिल्ली. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का मंगलवार को छठा दिन है, जिसमें रूसी टैंक और बख्तरबंद वाहनों का कई मील लंबा काफिला यूक्रेन की राजधानी के करीब पहुंच रहा है और जमीन पर संघर्ष तेज हो रहा है. रूस ने यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में नागरिक ठिकानों को निशाना बनाते हुए गोलाबारी तेज कर दी. हताहतों की संख्या बढ़ती जा रही है और खबरें सामने आईं कि रूसी टैंक द्वारा हाल में खारकीव और राजधानी कीव के बीच स्थित एक शहर ओख्तिरका में एक सैन्य अड्डे पर हमले में 70 से अधिक यूक्रेनी सैनिक मारे गए.
यूक्रेन के सैनिक जबरदस्त प्रतिरोध कर रहे हैं और हैरानी की बात यह है कि रूस आसमान पर हावी नहीं हो पाया है. इस बात की आशंका बढ़ रही है कि जैसे-जैसे पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप रूस और अधिक अलग-थलग होता जाएगा, व्लादिमीर पुतिन और भी अधिक आक्रामक रुख अपना सकते हैं तथा विश्व-परिवर्तनकारी युद्ध शुरू कर सकते हैं. इन हालातों में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगातार इस कोशिश में हैं कि वो यूक्रेन को घुटनों पर ला दें, लेकिन फिलहाल ऐसा होता नहीं दिखा रहा. 24 फरवरी से शुरू हमले से लेकर अब तक की कार्रवाई पर नजर डालें, तो ये पुतिन की 5T रणनीति का हिस्सा नजर आते हैं. तो, चलिए जानते 5T के बारे में:
बातचीत से विवाद को खत्म करने की कोशिश
यूक्रेन और रूस के बीच जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए व्लादिमीर पुतिन के पास विकल्प बातचीत का है. रूस के राष्ट्रपति की पहली कोशिश यही है कि वो बातचीत के माध्यम से यूक्रेन को अपनी शर्तें मानने के लिए राजी कर ले. बीते 28 फरवरी को इस दिशा में पहली कवायद बेलारूस में की गई थी, जब दोनों देश के प्रतिनिधिमंडल बातचीत के लिए एक आमने-सामने बैठे थे, लेकिन कोई हल नहीं निकला. हमले रोकने के लिए पुतिन ने तीन शर्तें – 1. यूक्रेन किसी यूरोपीय संगठन का हिस्सा ना बने, 2. क्रीमिया पर रूस की सत्ता को स्वीकार करे और 3. यूक्रेन अपनी सेना हथियार रखने का आदेश दे – रखी थीं, जिसे यूक्रेन ने सिरे से खारिज कर दिया. हालांकि अब भी रूस बातचीत से इस मसले को हल करना चाहते हैं और यही वजह है कि 2 मार्च को दोनों देशों के बीच दूसरी बैठक होने जा रही है.
पुतिन की दूसरी रणनीति, कीव पर कब्जा
बातचीत के बाद दूसरे विकल्प के तौर पर व्लादिमीर पुतिन कीव पर कब्जा करने की रणनीति पर आगे बढ़ सकते हैं और फिलहाल रूस की सेना यही करती नजर आ रही है. कीव पर कब्जा करने के बाद पुतिन वहां अपनी मनचाही सरकार बना सकते हैं, जिसके बाद यूक्रेन पर भी परोक्ष रूप से रूस का अधिकार स्थापित हो जाएगा. दरअसल, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की पश्चिमी देशों के समर्थक हैं. वे नाटो की सदस्यता के साथ ही यूरोपीय संघ के संगठनों से भी जुड़ना चाहता है, लेकिन पुतिन ऐसा किसी भी कीमत पर नहीं होने देना चाहते. राजधानी होने की वजह से कीव पर कब्जा होते ही पूरा यूक्रेन पुतिन के हाथों में आ जाएगा.
यूक्रेन को दो हिस्सों में तोड़ने की कोशिश
पुतिन तीसरे विकल्प के रूप में एक खास तरकीब (ट्रिक) का इस्तेमाल कर सकते हैं, जहां वे यूक्रेन को दो हिस्सों में बांट सकते हैं. तो आइए बताते हैं कि ये कैसे संभव होगा. यूक्रेन का हिस्सा रहे क्रीमिया को रूस ने 2014 में ही अपने कब्जे में कर लिया है. वहीं, बीते 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमले के पहले दिन ही पुतिन ने यूक्रेन के पूर्वी हिस्से के दो राज्यों डोनेत्सक और लुहांस्क जहां अलगाववादियों का प्रभुत्व था, को स्वतंत्र घोषित कर दिया. इस तरह से देखें, तो यूक्रेन के तीन राज्य पहले ही परोक्ष रूप से रूस के अधिकार-क्षेत्र में आ गए हैं. ऐसे में पुतिन की रणनीति यह हो सकती है कि वो यूक्रेन को दो हिस्सों में विभाजित कर उसे कमजोर कर दे.
घातक हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है रूस
व्लादिमीर पुतिन के पास चौथा विकल्प है यूक्रेन के खिलाफ घातक हथियारों का इ्स्तेमाल करना. रूस के राष्ट्रपति ने पहले ही रूसी परमाणु बलों को हाई अलर्ट पर रखा है. 28 फरवरी को पुतिन ने अपने परमाणु बलों को हाई अलर्ट पर रहने का आदेश दिया, तो एक दिन बाद 1 मार्च को यह खबर आई कि रूस की सेना ने वैक्यूम बमों का भी उपयोग किया है. हालांकि क्रेमलिन ने इस खबर को गलत बताया है. दरअसल, पुतिन की मंशा घातक हथियारों के दम पर यूक्रेन को झुकाने की है. ताकि अगली बार जब दोनों देशों के बीच बातचीत हो, तो यूक्रेन दबाव में उसकी शर्तों को मानने के लिए तैयार हो जाए.
यूक्रेन के समर्थक देशों को दबाव में लाने की नीति
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पास पांचवां विकल्प यह है कि वे उन देशों के खिलाफ मोर्चा खोल दें, जो यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस सहित यूरोपीय संघ के सभी देश यूक्रेन के साथ खड़े हैं. यूक्रेन पर हमले से नाराज इन देशों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिससे वहां के आर्थिक हालात दिन-प्रतिदिन खराब होते जा रहे हैं. ऐसे में, पलटवार करने के इरादे से पुतिन इन देशों के खिलाफ कुछ खास रणनीति तैयार कर सकते हैं. हालांकि, इसकी संभावना बेहद कम है क्योंकि अगर ऐसा होता है, तो तीसरे विश्व युद्ध का होना अवश्यंभावी हो जाएगा.
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