Is threat of covid disappearing from the world Answer is no nodakm – क्या दुनिया से कोविड का खतरा छट रहा है? उत्तर है- नहीं! | – News in Hindi

‘ग्लोबल हेल्थ थॉट’ के लीडर डॉ. टिम फ्रांस ने पिछले दिनों एक ट्वीट किया. ट्वीट में उन्होंने बताया, ‘यहां डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) स्पष्ट रूप से पुन: चेता रहा है, साथ ही ज्यादातर स्वास्थ्य विशेषज्ञ जिन्हें मैं जानता हूं, वे एक-दूसरे से व्यक्तिगत तौर पर पूछ रहे हैं कि क्या वास्तव में कोविड-19 संबंधित वे सभी जोखिम टल गए हैं, जिसके तहत वायरस अभी भी बड़े पैमाने पर घूम रहे हैं? ये वैश्विक विशेषज्ञ बता रहे हैं- हां!’

डॉ. टिम फ्रांस अपनी आशंका को पुष्ट करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन का संदर्भ दे रहे थे, जिसमें उसने यह चेतावनी दी गई थी कि कुछ देश कोविड-19 के मामले में लापरवाही कर रहे हैं, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य और इस महामारी से बचने के लिए उठाये जा रहे सामाजिक उपायों को अनदेखा कर रहे हैं, जबकि दुनिया भर से एकत्रित आंकड़े बता रहे हैं कि यह घातक वायरस इस वर्ष फरवरी के दूसरे सप्ताह के बाद न सिर्फ तेजी से बढ़ा है, बल्कि इसके कारण मौतों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. यही वजह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन से जुड़े विशेषज्ञों ने कोविड-19 महामारी को लेकर दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया है.

यही नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह भी कहा कि दुनिया के कई देश कोविड-19 की रोकथाम और नियंत्रण उपायों में ढील दे रहे हैं, जिससे भविष्य में महामारी का खतरा फिर लौट कर आ सकता है. सवाल है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस चेतावनी के पीछे आधार क्या है? आधार है वर्ष 2022 से सप्ताह-दर-सप्ताह कोविड-19 से होने वाली मौतों की संख्या में बढ़ोतरी का होना.

75 हजार से अधिक लोगों की मौत

दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आखिरी बार जो आंकड़े जारी किए गए हैं, उनके मुताबिक अकेले फरवरी के दूसरे सप्ताह में कोविड-19 के कारण दुनिया भर में 75,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है, जबकि इसके पहले वाले सप्ताह में कोविड-19 के चलते दुनिया भर में 35,000 से अधिक लोग मारे जा चुके थे. जाहिर है कि एक सप्ताह के भीतर इस महामारी की वजह से मरने वालों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई.

लेकिन, इससे बड़ी चिंता की बात है कि जनवरी के पहले सप्ताह से लगातार यह संख्या बढ़ती ही जा रही है. एक नजर विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों पर डालें तो उसके द्वारा दी गई चेतावनी का आधार और अधिक स्पष्ट हो जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जनवरी 2022 के पहले सप्ताह के दौरान कोविड-19 के कारण दुनिया भर में 41,000 लोगों की मौत हुई थी. लेकिन, जनवरी के दूसरे सप्ताह यह संख्या बढ़कर 43,000 हो गई, फिर जनवरी के तीसरे सप्ताह 45,000, चौथे सप्ताह 50,000 और जनवरी के अंतिम सप्ताह तक 59,000 से ज्यादा लोगों की मृत्यु महामारी के चलते रिकॉर्ड की गई. वहीं, इसी वर्ष फरवरी में यह आंकड़े घटने की बजाय और अधिक बढ़ते गए और फरवरी के पहले सप्ताह कोविड-19 के कारण 68,000 से ज्यादा तो फरवरी के दूसरे सप्ताह में 75,000 से ज्यादा लोगों की मौत दर्ज हुई.

यही नहीं, इन आंकड़ों के विश्लेषण के बाद इस महामारी के चलते आशंकित खतरे का नया परिदृश्य उभरा. दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फरवरी 2022 के दूसरे सप्ताह में जब मौतों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी के बारे में जानने के लिए अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों के आधार पर पड़ताल की और बताया कि किन देशों में कोविड-19 का कहर फिर टूट पड़ा है. दुनिया के ये चार भौगोलिक क्षेत्र हैं जहां मौजूदा महामारी के कारण लोगों की मौतों की संख्या बढ़ती हुई दिख रही है. इस लिहाज से देखें तो फरवरी के दूसरे सप्ताह में पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में महामारी के चलते मौतों में 38 प्रतिशत की वृद्धि पायी गई. इस क्षेत्र में मिस्र, इजराइल और लीबिया जैसे कई देश आते हैं.

चार भौगोलिक क्षेत्र बढ़ा रहे चिंता

पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में 38 प्रतिशत की वृद्धि के बाद पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में कोविड-19 के चलते मौतों की संख्या में 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है. वहीं, अफ्रीका में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी और अमेरिका में भी 5 प्रतिशत की वृद्धि पायी गई. इस कड़ी में यदि यूरोप की स्थिति का जायजा लें तो वहां मरने वालों की संख्या एक समान बनी हुई है, यानी वहां फरवरी के दूसरे सप्ताह होने वाली मौतों की संख्या फरवरी के पहले सप्ताह के समान ही दर्ज की गई, जबकि इस मामले में दक्षिण पूर्व एशिया ऐसा भौगोलिक क्षेत्र है, जहां 9 प्रतिशत की गिरावट देखी गई.

वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड की महामारी के कारण सबसे ज्यादा मौतों वाले देशों की पहचान की भी है. सूची के मुताबिक इन देशों में कोविड की महामारी के कारण सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं: अमेरिका, ब्राजील, रूस, इटली, फ्रांस, तुर्की, पोलैंड, यूक्रेन, अर्जेंटीना, मैक्सिको, पेरू, जर्मनी, कोलंबिया, जापान, यूके, ईरान और दक्षिण अफ्रीका.

कोविड-19 के साथ जो सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू जुड़ा हुआ है, वह है बड़ी तादाद में मरीजों की असामयिक मृत्यु. यह स्थिति तब है, जब कोविड-19 के खिलाफ पूरे विश्व में टीकाकरण अभियान को एक वर्ष से अधिक का समय हो चुका है. लेकिन, इसके बावजूद यदि हर सप्ताह दुनिया भर में कोविड-19 के कारण मरने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है तो यह स्थिति हमें सोचने के लिए मजबूर करती है कि आखिर दुनिया के पास या तो इस महामारी से भलीभांति निपटने के लिए अब भी कोई योजना और तैयारी नहीं है, या फिर सभी देश इस मामले में अतिरिक्त गंभीरता नहीं बरत रहे हैं, जिसका खामियाजा दुनिया के बाकी देशों का भुगतना पड़ सकता है.

वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात को लेकर भी चिंता जाहिर कर रहे हैं कि कोविड-19 महामारी से डर दूर करने के कारण यदि कई देश की सरकारें अब इससे होने वाली मौतों को कम करके प्रदर्शित कर रहे हैं तो यह सच्चाई से आंख फेरने जैसा है और इससे संकट गहराएगा ही. इस खतरे को स्पष्ट करने के लिए एक ग्लोबल साइंस जर्नल ने भारत से संबंधित उदाहरण दिए हैं.

दुनिया में संक्रमण की दर फिर क्यों हो रही तेज

दूसरी तरफ, कोविड-19 संक्रमण के नए प्रकरणों की संख्या में भी गिरावट दर्ज नहीं हो रही है: तीन सप्ताह पहले, दुनिया ने नए संक्रमणों की सबसे अधिक साप्ताहिक संख्या दर्ज की थी- 22 मिलियन. स्थिति यह है कि पिछले सप्ताह तक दुनिया भर में 16 मिलियन से अधिक नए मामले सामने आए. यह किसी भी तरह से एक छोटी संख्या नहीं है, बल्कि संक्रमण को रोकने के साथ-साथ न्यायसंगत टीकाकरण और अन्य अधिकार-आधारित सामाजिक-सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों के बावजूद ऐसा है तो सोचने वाली बात है. इसके अलावा, हमें ध्यान देना चाहिए कि कई देशों में कोविड-19 परीक्षण में गिरावट आई है. इसलिए नए संक्रमणों की वास्तविक संख्या कहीं अधिक हो सकती है.

दूसरी तरफ, कोविड-19 संक्रमण के नए प्रकरणों की संख्या में भी गिरावट दर्ज नहीं हो रही है: तीन सप्ताह पहले, दुनिया ने नए संक्रमणों की सबसे अधिक साप्ताहिक संख्या दर्ज की थी– 22 मिलियन. स्थिति यह है कि पिछले सप्ताह तक दुनिया भर में 16 मिलियन से अधिक नए मामले सामने आए. यह किसी भी तरह से एक छोटी संख्या नहीं है, बल्कि संक्रमण को रोकने के साथ-साथ न्यायसंगत टीकाकरण और अन्य अधिकार-आधारित सामाजिक-सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों के बावजूद ऐसा है तो सोचने वाली बात है. इसके अलावा, हमें ध्यान देना चाहिए कि कई देशों में कोविड-19 परीक्षण में गिरावट आई है. इसलिए नए संक्रमणों की वास्तविक संख्या कहीं अधिक हो सकती है.

विश्व स्वास्थ्य संघ की स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. मारिया वान केरखोव ने पिछले दिनों अपना मत साझा करते हुए बताया कि हमें कोरोना का खतरा टलने की प्रवृत्ति की बहुत अधिक व्याख्या करने के बारे में सावधान रहने की जरूरत है. हो सकता है कि ट्रेंड की दिशा सही हो, लेकिन बदली हुई परिस्थिति में आंकड़े कम करके बता रहे हैं तो सारी व्याख्याएं गड़बड़ा जाएंगी. सबसे बड़ी चिंता मौतों की बढ़ती संख्या है. यह लगातार सातवां सप्ताह है, जब हम कोविड-19 से बढ़ती मौतों की रिपोर्ट देख रहे हैं. वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन में ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी प्रोग्राम कार्यकारी निदेशक डॉ. माइकल रयान ने उन लोगों को चेतावनी दी जो संक्रमण की रोकथाम को जल्द से जल्द दूर करने का दावा कर रहे हैं, उनके मुताबिक ‘वायरस गायब नहीं होगा’.

अंत में हम सभी ने देखा कि कैसे महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को ठप कर दिया. यदि हम अर्थव्यवस्था को सार्वजनिक स्वास्थ्य या जलवायु के खिलाफ खड़ा करना जारी रखते हैं, इस मामले में और अधिक गलतियां करते हैं, तो हमें मानवीय संकटों और महामारी जैसी आपात स्थितियों के लिए मजबूर होना पड़ेगा. इसलिए समय आ गया है कि सरकारें सार्वजनिक स्वास्थ्य या जलवायु से जुड़े विकास के बड़े-बड़े वादों को पूरा करें.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *